Ki Yaad Jo Karen Sabhi

· Vani Prakashan
Libro electrónico
352
Páxinas
As valoracións e as recensións non están verificadas  Máis información

Acerca deste libro electrónico

हिन्दी में जीवनी साहित्य प्रचुर मात्रा में उपलब्ध नहीं है। आत्मकथा साहित्य तो और भी कम है। ब्रजरत्न दास की भारतेन्द की जीवनी ज़रूर उचित समय में ही लिख ली गयी थी। इधर हाल ही में चन्द्रशेखर शुक्ल द्वारा लिखित आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की, विष्णु प्रभाकर द्वारा लिखित शरतचन्द्र की, डॉ. रामविलास शर्मा द्वारा लिखित निराला की जीवनियों ने इस विधा में प्राण संचार किया। इन पंक्तियों के लेखक ने भी आचार्य हज़ारी प्रसाद द्विवेदी की जीवनी को लिखने का प्रयास किया है। यह हिन्दी समाज के लिए गौरव और सम्मान का विषय है कि हिन्दी की सुपरिचित कथा-लेखिका और सम्पादक रजनी गुप्त ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की जीवनी लिखी है। यह वस्तुतः बहुत बड़े अभाव की पूर्ति है। दद्दा का जीवन सामान्य दिखलाई पड़ता था किन्तु वह संघर्षपूर्ण था। वह भौतिक और मानसिक उठापटक से परिपूर्ण था। इस जीवनी की खास बात यह है कि वह लिखी तो गयी है पूरी आत्मीयता और तन्मयता के साथ किन्तु तटस्थता भी काफ़ी बरती गयी है। मुझे यह देखकर प्रसन्नता हुई कि रजनी गुप्त ने जीवन के ब्यौरों का लेखा-जोखा वस्तुगत दृष्टि से किया है और उन्होंने रचना में खलनायक, विदूषक और वीरोचित नायक नहीं निर्मित किये हैं इसमें मैथिलीशरण जी की साहित्यिक उपलब्धियों, उनके यश और चर्चाओं का मनोरंजक विवरण है। उनके मध्यवर्गीय जीवन की पारिवारिक समस्याओं एवं उलझनों का, दद्दा के समकालीन साहित्यकारों, समकालीन महत्त्वपूर्ण और आनुषंगिक घटनाओं का यथोचित वर्णन कृति को महत्त्वपूर्ण बनाता है। दद्दा के इस जीवनीपरक उपन्यास में जीवन के साथ औपन्यासिकता का निर्वहन भी इस कृति को पठनीय बनाता है। राष्ट्रकवि की जीवनी प्रस्तुत करने के लिए कथाकार रजनी गुप्त हिन्दी पाठकों की कृतज्ञता की अधिकारिणी हैं। 

शुभमस्तु।

-विश्वनाथ त्रिपाठी

Valora este libro electrónico

Dános a túa opinión.

Información de lectura

Smartphones e tabletas
Instala a aplicación Google Play Libros para Android e iPad/iPhone. Sincronízase automaticamente coa túa conta e permíteche ler contido en liña ou sen conexión desde calquera lugar.
Portátiles e ordenadores de escritorio
Podes escoitar os audiolibros comprados en Google Play a través do navegador web do ordenador.
Lectores de libros electrónicos e outros dispositivos
Para ler contido en dispositivos de tinta electrónica, como os lectores de libros electrónicos Kobo, é necesario descargar un ficheiro e transferilo ao dispositivo. Sigue as instrucións detalladas do Centro de Axuda para transferir ficheiros a lectores electrónicos admitidos.