जैसे उगता हुआ सूरज निकल रहा है।
- गौरव पाल
लेखकी, संवेदनशील व्यक्ति के उत्कृष्ट उदगार हैं।
अपनों से अपनापन अपनाने की, सुन्दर विधा है।
अवसाद और सुखभाव, को संभालने की अनुपम कला है।
- डॉ रीता सक्सेना
अभिव्यक्ति की अनवरत गूँजती सरगम है ये लेखकी,
सम्भाले हैं कुछ दर्द, पाले हैं ग़म, तब, जाके आयी ये मौसिक़ी ।
©डॉ मोनिका जौहरी
खुशी, गम , जज़्बात, कटाक्ष सब मेरे करीबी है,
लेखिनी मेरी आत्मा है मृत्यु है मेरी जीवनी है।।
प्रशांत गुप्ता
जो कलम और काग़ज़ के मिलन से उमड़ते भाव दिल छू जाएँ,
ऐसी ही कवि की अभिव्यक्ति से लेखकी एक कला बन जाए।
- प्रदीप सोरोरी