भारत के सकल समाज के उद्धार में समर्थ गुरु रामदास का महत्त्वपूर्ण योगदान है। समर्थ गुरु ने युवावस्था में ही ख्याति अर्जित कर ली थी। गुरु रामदास ने ऐसे अनेक दुष्कर एवं असंभव लगनेवाले कार्य किए, जिन्हें संपन्न करने के कारण उन्हें ‘समर्थ गुरु’ कहा गया।
लंबे समय के बाद समर्थ गुरु की भेंट छत्रपति शिवाजी से हुई। दोनों ने मिलकर स्वराज की स्थापना का बीड़ा उठाया, जिसमें वे सफल रहे। समर्थ गुरु के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में छत्रपति शिवाजी मराठा साम्राज्य की स्थापना एवं उसकी नींव मजबूत करने में सफल रहे। बिना गुरु के ज्ञान नहीं होता है, गुरु ही सच्चा मार्गदर्शक होता है और वह गुरु समर्थ रामदास जैसा हो तो निस्संदेह शिवा का ही जन्म होता है। वह शिवा जो राष्ट्र का गौरव है, रक्षक है, मार्ग-प्रदर्शक है।
प्रस्तुत पुस्तक ‘समर्थ गुरु रामदास’ भारतीय जन-समुदाय के लिए अत्यंत पठनीय है।
Immerse yourself in the spiritual journey of Guru Ramdas as chronicled by M.I. Rajasvi in Samarth Guru Ramdas. Discover the timeless wisdom of a revered sage.
M.I. Rajasvi's Samarth Guru Ramdas is a stirring tribute to Guru Ramdas, a spiritual figure revered for his timeless wisdom and teachings. This meticulously researched work delves into the life and philosophy of Guru Ramdas, illuminating his spiritual journey and profound impact on his followers. Rajasvi brings to life the guru's teachings on unity, peace, and compassion, resonating with readers across different faiths and belief systems. The book offers readers a rare glimpse into the life of a spiritual legend, fostering a deeper understanding of his philosophy and his enduring legacy. With its compelling narrative and rich insights, Samarth Guru Ramdas is not just a biography but a spiritual guide, inviting readers on a journey of self-discovery and enlightenment.
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