सुप्रिया सिंह वीणा ने कविता संग्रह मंदार बोलै छै मे आतंकवाद वर्ग संगर्ष,सवार्थ,लूट,अनाचार,नारी अपमान,भाषटाचार,इस प्रकार के मूल्य बडी तेजगति से शरण ले रहा है | धरम कर्म और आदमी के जीवन से ख़तम हो रहा है कविता शिल्प के स्तर पर सुप्रिया सिंह वीणा ने अपने अनुभव लिखे है |