उसका एक हाथ एक झटके से मेरी पैंटी के अंदर घुस कर मेरी टाँगों के जोड़ तक पहुँच गया । मैंने अपनी दोनों टाँगों को सख्ती से एक दूसरे के साथ भींच लिया लेकिन तब तक तो उसकी उँगलियाँ मेरी ***** के द्वार तक पहुँच चुकी थीं । दोनों उँगलियाँ मेरी ***** में घुसने के लिये कसमसा रही थी । मैंने पूरी ताकत लगा कर एक धक्का देकर उससे अपने को अलग किया और वहाँ से भागते हुए निकल गई ।
जाते जाते उसके शब्द मेरे कानों पर पड़े – “तुम्हें इस कंपनी में काम करने के लिये मेरी हर इच्छा का ध्यान रखना पड़ेगा ।“
कीर्ती कौर को भारत में उत्तेजक विषय पर कहानी लिखने के लिए पारंगत लेखिका माना जाता है, वे भारत के दिल दिल्ली में रहती हैं । किसी भी साधारण कहानी को उत्तेजक रूप दे देना उनकी एक कला है । हालाँकि उनका कहना है कि “हर जवानी की एक कहानी होती है” बस उसे पेश किया जाना चाहिए ।