इस जहाँ में नामुमकिन है तो, इक नया जहाँ बनाऊं।
सुना है तू चैदहवीं का चाँद, तेरे नैनों से नूर बरसता है।
चाँद तुझसे शरमाता है, होठों से शुरूर टपकता है।