मौसमी आचार्या लिखित *तू मेरा नहीं*| *ज़िन्दगी को गौर से देखो तो बहुत छोटी हैं,बस हमसफर ऐसा होना चाहिये जिसके साथ हम बेशक़ हर मोड़ पर चल सके |* बहुत धूमधाम से अंजलि के पापा ने उसकी शादी करवायी थी,अपनी एकमात्र बेटी को वो अपने सराखों पर रखते थे उन्होंने यही सोच कर उसकी शादी अपने दोस्त के बेटे से करा दी पर किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था | जैसे ज्यादातर फिल्मों में राहुल अंजलि नाम से बहुत सी जोड़ियाँ बनती हैं और उनमें बेहद प्यार दिखाया जाता हैं,पर यहाँ थोड़ा अलग हैं | अंजलि ने कभी नहीं सोचा था की जिस रिश्ते को वो बचाना चाहती हैं..सात फेरों के बंधन को निभाना चाहती हैं...राहुल तो उस रिश्ते को सिर्फ अपने पापा की वजह से झेल रहा था | भूले भटके उसे अंजलि के करीब कभी जाना भी पड़ा पर उसने तो अपनी बेटियों को भी प्यार नहीं दिया | अंजलि अपने लिये नहीं तो अपनी बेटियों के लिए राहुल से इस रिश्ते को बचाने की उम्मीद कर रही थी..पर कुछ ऐसा हुआ जिससे उसे लगा की यहाँ उम्मीद नहीं की जा सकती और यहाँ से चले जाना ही बेहतर हैं ...| शादी के बाद जिस घर में उसके ससुर उसे घर की लक्ष्मी मानकर ले गये थे उसी घर से उसे अपनी बेटियों के साथ अकेले एक कपड़े में निकलना पड़ा *एक गलत बीज पुरे फसल को बर्बाद कर देती हैं और,* *एक गलत रिश्ता ज़िन्दगी ख़राब कर देता हैं*