कहानियाँ बच्चों को खेल-खेल में बहुत कुछ सिखाती हैं। जो काम गूढ़ बातों और उपदेशों से भरे बड़े-बड़े पोथे नहीं कर पाते, उसे नन्ही-नन्ही रोचक कहानियाँ बड़े मजे से कर दिखाती हैं। इसलिए कि कहानियाँ हजारों वर्षों से बच्चों की दोस्त रही हैं और दोस्त बनी रहेंगी। बच्चे कहानियों को पढ़ते या सुनते हुए कभी नहीं थकते। और हर बार उनकी जिज्ञासा इस एक नन्हे सवाल के साथ सामने आती है कि फिर क्या हुआ नानी? बच्चा जो सुनता है, उसे गुनता ही नहीं, कहानी से जुड़ी कल्पना के पंखों पर सवार होकर हजारों मील दूर, क्षितिज के पार चला जाना चाहता है और वहाँ जो घट रहा है, उसे अपनी आँखों से देखना और महसूस करना चाहता है।