हम बचपन, जवानी, घर, परिवार, भरोसा, रिश्ता, चेहरा सब कुछ छोड़ आए मगर ये सब आज भी हमें पुकारते रहते हैं लेकिन इन पर हम गौर नहीं कर पाते ।
गुजरा हुआ बचपन पुकारेगा तुम्हें
घर में लगा दर्पण पुकारेगा तुम्हें
हंसता-खेलता हुआ आंगन पुकारेगा तुम्हें
बहनों की राखी का सावन पुकारेगा तुम्हें ।
इसी उद्देश्य से मैंने अपनी पहली पुस्तक “पुकारेगा तुम्हें“ में चुनिंदा रचनाओं का संकलन तैयार किया है इस पुस्तक में कविताएं, गीत, गजलें एवं चुनिंदा शायरी का संकलन बोलचाल की भाषा में किया गया है जिसमें हिंदुस्तान की हर एक आवाज को लिखने की कोशिश किया है ।
नरेंद्र कुमार पुत्र राम सुमेर निशा गांव ओसियां जिला उन्नाव उत्तर प्रदेश निवासी है । जिनका जन्म एक साधारण परिवार में 11 जून 1995 में ओसियां गांव में हुआ जिनके पिता एक मजदूर है जिनकी कठिन मेहनत, सच्ची लगन एवं ईमानदारी ने रचनाकार को इस मुकाम तक पहुंचाया।
इन्होंने विज्ञान वर्ग से स्नातक एवं हिंदी वर्ग से परास्नातक की शिक्षा प्राप्त की इन्हें बचपन से ही शायरी लिखने का शौक था जो निरंतर प्रयास करते रहे। इन्होंने गांव, देश, भूख, गरीब मजदूर, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी सभी विषयों पर कविताएं, गीत, गजलें एवं शायरी लिखने की कोशिश किया है।
रचनाकार वर्तमान समय में भारतीय वायुसेना में सेवा प्रदान कर रहे हैं।