'हमारे पवित्र ज्ञानरूपी धनुष पर भक्तिरूपी तीर चढ़ाओ, ध्यानरूपी प्रत्यंचा को खींचो और लक्ष्य-भेद करो।'
'पृथ्वी, चित्त, प्राण, वितान, स्वर्ग इत्यादि उसके आवरण हैं। वह एकमात्र ही है; ब्रह्म ज्ञान ही मनुष्य को अमरत्व (मोक्ष) तक पहुँचाने वाला पुल है।'
- इसी पुस्तक से
प्रत्येक उपनिषद् किसी-न-किसी वेद के खंड से जुड़ा हुआ है और उसी खंड के अनुसार उसका नामकरण किया गया है। उदाहरण के लिए कठोपनिषद् यजुर्वेद की कठ शाखा के अंतर्गत आता है। भारतीय वाड्मय के अत्यंत महत्त्वपूर्ण अंग 'उपनिषदों' में से दस प्रमुख उपनिषदों का अत्यंत सरल एवं सहज भावानुवाद है। इनका अध्ययन पाठकों को जीवन का असली अर्थ और मर्म समझने की दृष्टि उत्पन्न करेगा।