क्रिकेट वो शय है जो इस देश को सबसे बेहतर ढंग से एक कर सकती है। भारतीय क्रिकेट टीम छोटे-बड़े शहरों से आये हुए लोगों का एक शानदार मिश्रण है जहाँ कितने ही अलग-अलग धर्म, वर्ग, जाति, इलाकों और भाषाओं के खिलाड़ी साथ खेलते हैं। ये वो समूह है जिसमें राँची के एक पम्प मैनेजर का बेटा बड़े ख़्वाब देखने का साहस कर सकता है, जहाँ टैलेण्ट लेकर पैदा होने वाला मुम्बई का एक लड़का हैदराबाद की तंग गलियों से आने वाले एक मुसलमान के साथ खेल सकता है। उस वक़्त जब परिवारवाद ने बॉलीवुड और राजनीति को जकड़ के रखा है, क्रिकेट ही वो फील्ड है जहाँ सब कुछ समतल ज़मीन पर खेला जा रहा है और जो हमारे संविधान के उसूलों को सही मायनों में साकार कर रहा है। ये खेल असल में भारत की सबसे सटीक छवि सामने लाता है। अपनी इस किताब में बेस्टसेलिंग लेखक और पत्रकार राजदीप सरदेसाई 11 भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों के माध्यम से स्वाधीनता के बाद के भारतीय क्रिकेट की कहानी हम सभी के सामने लेकर आये हैं। इन खिलाड़ियों में 60 के दशक से दिलीप सरदेसाई से लेकर महेन्द्र सिंह धोनी और विराट कोहली तक शामिल हैं। ये किताब 11 सबसे अच्छे भारतीय क्रिकेटर्स के बारे में नहीं है। ये किताब व्यक्तिगत हवालों से आये हुए किस्सों और कहानियों के दम पर भारतीय क्रिकेट की यात्रा के बारे में बात करती है। ये किताब उन दिनों से शुरुआत करती है जब क्रिकेटर्स ट्रेन में सफ़र करते थे, एक टेस्ट मैच के कुछ सौ रुपये मिलते थे और फिर वहाँ आकर रुकती है जब क्रिकेट में करोड़ों रुपयों का व्यापार करने वाला आईपीएल आ चुका है। इस तरह से क्रिकेट और साथ ही भारतीय समाज के विकास का लेखा-जोखा तैयार किया गया है।