Evaluation and guidance: - Shri. Rajiv Dixit
सम्पूर्ण चिकित्सा ऋषि वाग्भट्ट द्वारा लिखित,
अष्टांगह्रदयम् पर आधारित
संकलन एवं मार्गदर्शनः -
श्री राजीव दीक्षित
भारत में जिस शास्त्र की मदद से निरोगी होकर जीवन व्यतीत करने का ज्ञान मिलता है उसे आयुर्वेद कहते है। आयुर्वेद में निरोगी होकर जीवन व्यतीत करना ही धर्म माना गया है। रोगी होकर लंबी आयु को प्राप्त करना या निरोगी होकर कम आयु को प्राप्त करना दोनों ही आयुर्वेद में मान्य नहीं है। इसलिए जो भी नागरिक अपने जीवन को निरोगी रखकर लंबी आयु चाहते हैं, उन सभी को आयुर्वेद के ज्ञान को अपने जीवन में धारण करना चाहिए। निरोगी जीवन के बिना किसी को भी धन की प्राप्ति, सुख की प्राप्ति, धर्म की प्राप्ति नहीं हो सकती हैं। रोगी व्यक्ति किसी भी तरह का सुख प्राप्त नहीं कर सकता हैं। रोगी व्यक्ति कोई भी कार्य करके ठीक से धन भी नहीं कमा सकता हैं। हमारा स्वस्थ शरीर ही सभी तरह के ज्ञान को प्राप्त कर सकता हैं। शरीर के नष्ट हो जाने पर संसार की सभी वस्तुएं बेकार हैं। यदि स्वस्थ शरीर है तो सभी प्रकार के सुखों का आनन्द लिया जा सकता हैं।
In India, with the help of the scriptures, which gives you the knowledge to live without being sick, it is called Ayurveda. Religion in Ayurveda is considered to be healthy and to lead a life. It is not valid in Ayurveda to achieve long age by being patient or to attain short age by being healthy. Therefore, all citizens who want a long life by keeping their life healthy, all of them should wear the knowledge of Ayurveda in their lives. Without a healthy life, no one can attain wealth, attain happiness, attain righteousness. A sick person cannot achieve any kind of happiness. A sick person cannot earn money properly by doing any work. Our healthy body can acquire all kinds of knowledge. When the body is destroyed, all the objects of the world are useless. If there is a healthy body, then all kinds of pleasures can be enjoyed.
पूज्यनीय राजीव भाई को जिन्होंने देश के लिए अपने सुख व वैभव के साथ अपने प्राणों को भी न्योछावर कर दिया।
परम पूज्यनीज श्री राजीव भाई और उनके पूज्यनीय माता-पिता का स्मरण बार-बार करता हूँ, जिनके पूण्य कर्मों के कारण भारत माता ने अपने ऐसे सपूत को हमारे बीच भेजा।
मैं उन सभी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद करना चाहता हूँ, जो राजीव भाई के पद चिन्हों पर चलकर राष्ट्र हित के लिए कार्य कर रहे हैं।
“दुनिया में कोई भी कार्य असम्भव नहीं होता हैं, महत्वपूर्ण बात यह है कि कार्य करने वाले का संकल्प कितना मजबूत हैं।”
“केवल स्वदेशी नीतियों से ही देश फिर से सोने की चिड़िया बन सकता हैं।”