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এই ইবুকখনৰ বিষয়ে
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय बंगला के शीर्षस्थ उपन्यासकार हैं । उनकी लेखनी से बंगाल-साहित्य तो समृद्ध हुआ ही है, हिन्दी भी उपकृत हुई है । उनकी लोकप्रियता का यह आलम है कि पिछले डेढ़ सौ सालों से उनके उपन्यास विभिन्न भाषाओं में अनूदित हो रहे हैं और कई-कई संस्करण प्रकाशित हो रहे हैं । उनके उपन्यासों में नारी की अंतर्वेदना व उसकी शक्तिमत्ता बेहद प्रभावशाली ढंग से अभिव्यक्त हुई है । उनके उपन्यासों में नारी की गरिमा को नयी पहचान मिली है और भारतीय इतिहास को समझने की नयी दृष्टि ।
वे ऐतिहासिक उपन्यास लिखने में सिद्धहस्त थे । वे भारत के एलेक्जेंडर ड्यूमा माने जाते हैं।
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