जुलाई 356 ईसा पूर्व में जनमे सिकंदर के पिता फिलिप द्वितीय मकदूनिया के राजा थे। 336 ईसा पूर्व में फिलिप की हत्या के बाद 20 साल के सिकंदर को एक अशांत राज्य वसीयत में मिला। उसने जल्दी ही अपने सभी दुश्मनों को ठिकाने लगा दिया और ग्रीस में अपना एक प्रभुतासंपन्न राज्य स्थापित किया। इसके बाद उसकी राज्य-विस्तार की भूख बढ़ गई।
अगले आठ सालों में सिकंदर ने 11,000 मील आगे तक अपनी सेना का नेतृत्व किया और 70 बडे़ शहरों और तीन महाद्वीपों को पार करते हुए उत्तर भारत में पंजाब तक आ पहुँचा।
अरस्तू का यह महान् शिष्य तूफान की तरह बड़ी-से-बड़ी बाधा को पार करता रहा, लेकिन मामूली से बुखार से पार नहीं पा सका और इसने बेबीलोन में 323 ईसा पूर्व में उसकी जान ले ली। अपने 33 साल के जीवन में सिकंदर ने कभी आराम नहीं किया। आराम और सुस्ती उसके शब्दकोश में नहीं थे। शूरवीर और नीतिज्ञ सिकंदर महान् का जीवन सदा कर्मकरने की प्रेरणा देता है।