मैं मनोविज्ञान में पीएचडी, एचआर में पीजीडीएम, बच्चों की मनोवैज्ञानिक काउंसिलर और एक लेखिका हूँ। मुझे नर्सरी से एमबीए तक के छात्रों को पढ़ाने और उनके साथ समय बिताने का सुअवसर मिला है। नन्हें बच्चों से ले कर स्नातकोत्तर तक के छात्रों को पढ़ाने के दौरान मैंनें बहुत कुछ पढ़ा और लिखा। मेरी शादी कम वयस में हो गई थी। शादी के बाद मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की। उस दौरान महिलाओं और बच्चों की समस्याओं की ओर ध्यान गया और उनकी बातों में मेरी रुचि में बढ़ गई। यह मेरे लेखन में भी झलकता है। इससे रचनात्मक लेखन में मेरी रुचि अनजाने में, अवचेतन रूप से हुई। वर्षों पहले, पोस्ट ग्रेजुएट साइकोलॉजी के लिए स्टडी मटीरीयल, कुछ आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक लेख लिखने के बाद मुझे एहसास हुआ कि मुझे लिखना कितना पसंद है। इससे मुझे ताज़गी और ख़ुशी मिलती है। मेरे लेखन यात्रा में मेरा मनोविज्ञान थीसिस, बाल मनोविज्ञान पर आधारित लेख व कहानियाँ, कविताएँ, अन्य कहानियाँ, आध्यात्मिक लेख, पोस्ट ग्रेजुएट मनोविज्ञान की पुस्तकें, अनुवाद आदि शामिल हैं। जब मुझे ब्लॉग की दुनिया मिली, तब मुझे महसूस हुआ, मेरे सामने लेखन के लिये खुला, अंनंत आकाश है। यहाँ मेरे लेखन को बहुत प्रोत्साहन मिला और उसमें लिखने तारतम्यता आई। मेरी यह जीती-जागती पुस्तक लेखन के प्रति मेरे प्यार और लगाव का साकार रूप है।