जीवन में दुख-सुख का आगमन होता रहता है, लेकिन मनुष्य जिस परिवेष्ठा में रहता है कि वहाँ सुख और खुष्ठाद्ध को तो बहुत शीघता से आत्मसात् कर लेता है, लेकिन दुख एवं नकारात्मक परिस्थितियों के आगे हार मान लेता है। बस यहीं से जीवन बदलना आरंभ हो जाता है। दृढ़प्रतिज्ञ व्यक्ति बाधा, विपदा और कठिन-से-कठिन हर समस्या का हल ढूँढ़ लेता है। इसके लिए व्यक्ति को सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ ही एक ऐसे परिवेष्ठा की आवष्ठयकता होती है, जो उसके अंतर्मन को मानसिक एवं नैतिक सहारा दे। देष्ठा के जाने-माने प्रेरक वक्ता संदीप माहेष्ठवरी के प्रेरक वक्तवयों ने अनेक युवाओं एवं लोगों को पथभष्ट होने से बचाया है। उन्होंने अपनी वाणी से अनेक लोगों का दिष्ठा-निर्देष्ठान किया है, पर ऐसा भी तभी संभव है, जब उनको उनकी कक्षाओं में जाकर सुना जाए। प्रभात प्रकाष्ठान ने आपकी इस समस्या को सुलझाकर इस ई-पुस्तक को आपके समक्ष रख दिया है। इस पुस्तक में उनके चुनिंदा प्रेरक वक्तव्यों को सहज, सरल और मनोरंजक भाषा में लिखा गया है, ताकि पाठक उनसे जुड़ सकें।