SHRIGURUJI CHITRAWALI: SHRIGURUJI CHITRAWALI: Celebrating the Life and Teachings of Shri Guruji Golwalkar

· Prabhat Prakashan
4,2
4 կարծիք
Էլ. գիրք
40
Էջեր
Bubble Zoom
Գնահատականները և կարծիքները չեն ստուգվում  Իմանալ ավելին

Այս էլ․ գրքի մասին

श्रीगुरुजी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना सन् 1925 में डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने की थी, लेकिन उनके विचारों और कार्य का विस्तार द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर ‘श्रीगुरुजी’ ने किया था। संघ-निर्माण के मात्र पंद्रह साल बाद ही डॉ. हेडगेवार का निधन हो गया, लेकिन अवसान से पहले उन्होंने श्रीगुरुजी को संघ का द्वितीय सरसंघचालक नियुक्त कर दिया था। द्वितीय विश्वयुद्ध, भारत छोड़ो आंदोलन, आजाद हिंद फौज और नेताजी सुभाषचंद्र बोस का देश की आजादी में योगदान, भारत विभाजन, देश की स्वाधीनता, कश्मीर विलय, देश का पहला आम चुनाव, चीन से भारत की हार, पाकिस्तान के साथ 1965 व 1971 की लड़ाई—भारत का इतिहास बदलने और बनाने वाली इन घटनाओं के महत्त्वपूर्ण काल में न केवल श्रीगुरुजी संघ के प्रमुख थे, बल्कि अपनी सक्रियता और विचारों से उन्होंने इन सबको प्रभावित भी किया था। अपने कार्यकाल में श्रीगुरुजी ने हर समस्या का निदान किया। सरकार के झूठे प्रचार का मुकाबला करने के लिए 1946 में ‘भारत प्रकाशन’ संस्था के अंतर्गत अंग्रेजी में ‘ऑर्गेनाइजर’ तथा हिंदी में 1947 में ‘राष्ट्रधर्म’, ‘पाञ्चजन्य’ तथा ‘दैनिक स्वदेश’ की शुरुआत की। आगे सहकारिता के सिद्धांत पर ‘हिंदुस्थान समाचार’ नामक पहली समाचार संस्था स्थापित की। विद्यार्थियों में जन-जागरण के लिए ‘अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्’ का गठन हुआ। लोकतंत्र स्वस्थ हो और राजनीति राष्ट्रीय दृष्टि से चले, इस दृष्टि से ‘भारतीय जनसंघ’ की स्थापना में सहभाग किया। बस्ती से दूर जंगलों में काम करने के लिए ‘वनवासी कल्याण आश्रम’ तथा मजदूर वर्ग के बीच ‘भारतीय मजदूर संघ’ संगठन खड़ा किया गया। इतना ही नहीं, दुनिया भर में बिखरे हिंदुओं को संगठित करने के लिए ‘विश्व हिंदू परिषद्’ की स्थापना हुई। श्रीगुरुजी के समय में ही गौ-रक्षा का राष्ट्रव्यापी आंदोलन खड़ा हुआ। उन्हीं के प्रयास से ‘विवेकानंद शिला स्मारक’ अस्तित्व में आया। श्रीगुरुजी ने तैंतीस वर्षों तक अनथक, अविराम परिश्रम कर संघ को बीज से वटवृक्ष बना दिया। तत्कालीन भारतवर्ष के इतिहास में समादृत एक आध्यात्मिक पुरुष ही नहीं, सामाजिक-सांस्कृतिक, जीवन-मूल्यों के प्रसारक के रूप में ख्यात ‘श्रीगुरुजी’ की प्रामाणिक चित्रावली।

Գնահատականներ և կարծիքներ

4,2
4 կարծիք

Գնահատեք էլ․ գիրքը

Կարծիք հայտնեք։

Տեղեկություններ

Սմարթֆոններ և պլանշետներ
Տեղադրեք Google Play Գրքեր հավելվածը Android-ի և iPad/iPhone-ի համար։ Այն ավտոմատ համաժամացվում է ձեր հաշվի հետ և թույլ է տալիս կարդալ առցանց և անցանց ռեժիմներում:
Նոթբուքներ և համակարգիչներ
Դուք կարող եք լսել Google Play-ից գնված աուդիոգրքերը համակարգչի դիտարկիչով:
Գրքեր կարդալու սարքեր
Գրքերը E-ink տեխնոլոգիան աջակցող սարքերով (օր․՝ Kobo էլեկտրոնային ընթերցիչով) կարդալու համար ներբեռնեք ֆայլը և այն փոխանցեք ձեր սարք։ Մանրամասն ցուցումները կարող եք գտնել Օգնության կենտրոնում։