SOKOL GRIHO HARALO JAR

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अनंत अडचणींचा सामना करत, खुनाच्या धमक्या येऊनसुद्धा अंतरातल्या आवाजाला सतत प्रतिसाद देत, तळमळीने, निर्भयपणाने लिहिणाऱ्या मोजक्या लेखकांपैकी एक अग्रगण्य नाव म्हणजे तसलिमा नासरिन . ‘शोकोल ग्रिह हारालो जार’ हे पुस्तक उपरोक्त विधानाला पुष्टी देणारे असेच आहे. या पुस्तकात तसलिमाने विविध विषयांचा परामर्श घेतला आहे. अगदी अमेरिकेच्या निवडणुकीपासून ते फिडेल कॅस्ट्रोच्या क्यूबापासून अंधश्रद्धांपर्यंत अनेक विषयांवर तिने पोटतिडकीने, निर्भयतेने रोखठोक शब्दांत स्वतःची मते मांडली आहेत. त्याचबरोबर स्वतःच्या आयुष्यातील अडचणी, अन्याय, एकाहत्तर सालच्या कटू आठवणी यांबद्दलही लिहिले आहे. सर्व प्रकारची विषमता दूर होऊन सर्व जग म्हणजे एक एकसंध, सुसंस्कृत, मानवतावादी समाज घडावा, ही तळमळ हा तिच्या लिखाणाचा पाया आहे.

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