Sagoyana

· Vani Prakashan
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‘सागोयाना’ एक ऐसी ही कहानी है, जिसमें महाश्वेता देवी ने आदिवासियों की व्यथा को भली-भाँति उजागर करने का सराहनीय प्रयास किया है। यह झारखण्ड के आदिवासियों की कहानी है, जिसमें महाश्वेता ने बताया है कि प्रशासन आदिवासियों के प्रिय शाल को बिना सोचे-समझे काटकर सागौन-रोपण के काम को अंजाम देता है, जिसके विरोध में ‘सागवानी आन्दोलन’ आरम्भ हो जाता है। उपन्यास के शीर्षक ‘सागोयाना’ से भी इसकी पुष्टि होती है।

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बांग्ला की प्रख्यात लेखिका महाश्वेता देवी का जन्म 1926 में ढाका में हुआ। वह वर्षों बिहार और बंगाल के घने कबाइली इलाकों में रही हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं में इन क्षेत्रों के अनुभव को अत्यन्त प्रामाणिकता के साथ उभारा है।महाश्वेता देवी एक थीम से दूसरी थीम के बीच भटकती नहीं हैं। उनका विशिष्ट क्षेत्र है-दलितों और साधन-हीनों के हृदयहीन शोषण का चित्रण और इसी संदेश को वे बार-बार सही जगह पहुँचाना चाहती हैं ताकि अनन्त काल से गरीबी-रेखा से नीचे साँस लेनेवाली विराट मानवता के बारे में लोगों को सचेत कर सकें। गैर-व्यावसायिक पत्रों में छपने के बावजूद उनके पाठकों की संख्या बहुत बड़ी है। उन्हें साहित्य अकादेमी, ज्ञानपीठ पुरस्कार व मैग्सेसे पुरस्कार समेत अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

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