Samiksha Ka Yatharth: Articles

· Uttkarsh Prakashan
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प्रस्तुत पुस्तक ‘समीक्षा का यथार्थ’ अपने मूल स्वरूप में संत-साहित्य एवं भारतीय समाज को गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मध्यकाल के प्रमुख संतों एवं कवियों के आदर्शों तथा शिक्षाओं पर आधारित है । पुस्तक के महत्वपूर्ण अध्याय: प्रारम्भ से पहले, संत साहित्य की सामाजिक आवशकता, कबीर की समझ और भारतीय समाज , संत रविदास की दार्शनिकता, संत रविदास: समय, समाज और समझ, संत सुन्दरदास: सामाजिक सन्दर्भ और काव्य, विश्व कवि तुलसीदास: समझ और सार्थकता, संतकवि रविदास की वाणी में वर्तमानता, संत दादूदयाल की वाणी: समय और समाज, महामति प्राणनाथ की सामाजिक चेतना, तुलसी की व्यापक दृष्टि: राम रूप दूसर नहिं देखा, संकटों के दौर में ‘आधुनिक सन्दर्भों में कबीर’, समय, समाज और संत साहित्य का यथार्थ: साक्षात्कार

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