Shakti: Naari: Srishti Ka Aadhar

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Einkunnir og umsagnir eru ekki staðfestar  Nánar

Um þessa rafbók

‘शक्ति' जील इन्फ़िक्स पब्लिशिंग सर्विसेस की ओर से हिंदी काव्य संकलन श्रृंखला में ये एक और नया क़दम है, जिसमें कोशिश की गई है कि नई लेखिकाओं और पूर्व से ही प्रकाशित अनुभवी एवं मंझी हुई अन्य लेखिकाओं को एक मंच पर, एक किताब की सूरत में लाने की, ताकि उनके ख़ूबसूरत ख़यालात उन लोगों तक पहुँच सके, जो इन चीज़ों की परख रखतें हैं। ये किताब उन नौ नारी शक्तियों की लेखनी से सराबोर है, जिनकी लिखी कविताएँ आप सबके ज़ेहन में सालों तक अपनी पैठ बनाये रखेंगी। मेरी यह कोशिश कि इनका वो हुनर जो लेखनी की दुनिया में है, वो कहीं छिपा ना रह जाये और जो पूर्व से ही प्रकाशित लेखिकाएँ हैं, उन्हें एक और दायरा मिले, एक नया ज़रिया मिले, उन लोगों का मार्गदर्शन करने का जो अभी नये हैं...

Um höfundinn

आप प्रियंका अग्रवाल (प्रियांशी लहर) विश्व प्रसिद्ध पीतलनगरी, मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) की निवासी हैंl अर्थशास्त्र में स्नातक हैं और एक कुशल ग्रहणी का दायित्व निर्वहन कर रही हैं।

 

शायद एक स्त्री होने के नाते ही आप स्वाभाविक रूप से बचपन से ही स्त्रियों की संवेदनाओं को दिल से महसूस करती हैं। जीवन के उतार-चढ़ाव भरे सफ़र में कब कलम थाम ली और भावनाओं की लहरों का पन्नों से संघर्ष शुरू हो गया, सही से कहना मुश्किल होगा


आप शिल्पा सोनी 'अनगढ़', साहित्य प्रतिभा सम्पन्न उदीयमान कवयित्री हैं। आप महात्मा गाँधी की सत्याग्रह स्थली, चंपारण के ऐतिहासिक सुगौली नगर, जो भारत और नेपाल के संधिस्थल के रूप में विख्यात है, की निवासी हैं।

 

पढ़ाई में बाल्यकाल से ही आप काफ़ी प्रतिभाशाली रही हैं और सभी वर्गों में प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर से कला विषय में परास्नातक की उपाधि प्राप्त की है। 


आप अमृता तिवारी, बिहार के ख़ूबसूरत शहर पटना की निवासी हैं। आपने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा और साथ ही स्नातक की शिक्षा भी पटना में रहकर पूर्ण की है।

 

वर्तमान में आप देश सेवा हेतु प्रयासरत हैं। आपने बचपन से ही कविताएँ लिखना प्रारंभ कर दिया था और समय के साथ यह लेखन परिपक्व होता गया, जो आज आपकी रचनाओं में दिखाई पड़ता है। आपकी रचनाएँ हिंदी के सभी रसों को समाहित करती हैं और इस पुस्तक के द्वारा आपने नारी चरित्र और माँ की ममता को शब्द रूप देने का प्रयास किया है।


नाम हिमांशी मिश्रा, आप उत्तर-प्रदेश में गंगा नदी के तट पर बसे अलमस्त शहर कानपुर नगर की निवासी हैं। आपने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा और साथ ही स्नातक की शिक्षा भी कानपुर में रहकर पूर्ण की है। वर्तमान में आप साफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में कार्यरत हैं।

 

आपने बचपन से ही कविताएँ लिखना प्रारंभ कर दिया था और समय के साथ यह लेखन परिपक्व होता गया, जो आज आपकी रचनाओं में दिखाई पड़ता है। आपकी रचनाएँ हिंदी के सभी रसों को समाहित करती हैं और इस पुस्तक के द्वारा आपने नारी चरित्र व नारी की शक्तियों को शब्दों का रूप देने का प्रयास किया है।


बहुमुखी प्रतिभा की धनी श्रीमती प्रीति मेहरा, मूलतः नैनीताल जिले की निवासी हैं। वर्तमान में आप हल्द्वानी में कार्यरत एवं निवासरत हैं। आप पेशे से शिक्षिका एवं प्रतिष्ठित विद्यालय में प्रवक्ता हिंदी (पी.जी.टी.) पद पर हैं। प्राथमिक शिक्षा नई दिल्ली व लखनऊ के केन्द्रीय विद्यालय में हुई। स्कूली शिक्षा के बाद लखनऊ वि.वि. से कला वर्ग में स्नातक, कानपुर वि.वि. से इतिहास में परास्नातक, लखनऊ से ही कम्प्यूटर में पॉलीटेक्निक आपने की। आगे की शिक्षा तथा बी.एड कुमाऊँ वि.वि. से और एम. एड. गढ़वाल वि. वि. से आपने पूर्ण की।


आप दीपशिखा गोंड 'शिखा' मूल रूप से मऊ, उत्तर प्रदेश की निवासी हैं और वर्तमान समय में झारखंड में रहती हैं। आपने अपनी स्कूली शिक्षा मऊ, कानपुर से पूर्ण की, तत्पश्चात व्यावसायिक शिक्षा कानपुर विश्वविद्यालय से बी.टेक. की उपाधि प्राप्त की। वर्तमान समय में आप गृहिणी हैं।

लेखन में आपकी रुचि बाल्यकाल से ही थी। आप अपने भावों को शब्द रूप देकर काव्य रचना करते थे, परंतु उचित रूप से साहित्यिक वातावरण के अभाव में तत्कालीन समय में काव्य सृजन के बीज अंकुरित मात्र होकर रह गए और पल्लवित पुष्पित नहीं हो पाए। 

आप क्रति मंडलोई, मध्यप्रदेश के इंदौर जिले की निवासी हैं। आपने अपनी शिक्षा स्नातक में पूर्ण की है। लेखन और गायन की कला आपको विरासत में मिली है। मुख्य रुप से यही आपके शौक भी हैं। आपके पिता से आपने लेखन का गुण आत्मसात किया और वह आपके प्रेरणास्त्रोत हैं। आप स्वतंत्र विचारधारा की धनी हैं। लेखन ही वह उत्तम माध्यम बना जिसने आपके अंतर्निहित विचारों को विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया है। 


आप हैं सुश्री अंकिता मल्लिक। माता-पिता के शिक्षक होने के कारण सुविचारों से ओत-प्रोत और कवि गुरु रविन्द्र नाथ टैगोर जी से प्रभावित होकर बहुत छोटी सी आयु में ही अपनी रचनाओं को आपने काग़जों पर उतारा है। छोटे-बड़े अपने मस्तिष्क की उपज से आपने बहुत अनुभव कमाया और देखते ही देखते आपकी रचनाएँ कविता का रूप लेने लगीं। अंग्रेजी माध्यम से शिक्षित होने के कारण आपकी अनेक कविताएँ अंग्रेजी में मिलने लगीं, परंतु समय के साथ-साथ आपका रुझान हिंदी साहित्य की ओर देखने को मिला।

आप श्रद्धा परमार, मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले के शुजालपुर शहर की निवासी हैं। वर्तमान में आप भोपाल शहर में निवासरत हैं। प्रारंभिक शिक्षा के साथ ही लेखन एवं गायन की रूचि को नई राह मिलती गई। अपने विद्यालय के कई कार्यक्रमों में आपने छोटी उम्र से ही मंच संचालन कर अपनी कलम और आवाज़ का जादू दिखाया। स्नातक की शिक्षा आपने शासकीय जे.न.एस. महाविद्यालय से कंप्यूटर विषय में पूरी की एवं इसी क्षेत्र में अपना स्नातकोत्तर भी पूरा किया। आपकी कलम को गति आपके भाई के द्वारा प्रेरणा से मिली। बी.एड. करने के उपरान्त आपने जवाहर नवोदय विद्यालय में कार्य किया, वर्तमान में आप केंद्रीय विद्यालय में कंप्यूटर प्रशिक्षक के पद पर कार्यरत हैं, वहीं विद्यालय पत्रिका एवं विद्यालय के समाचार पत्र में आपके लेखन को स्थान मिला। 

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