Sanskrtik Virasat Ke Dhani : Bharat Aur Japan: Sanskrtik Virasat Ke Dhani : Bharat Aur Japan: Riches of Cultural Heritage: India and Japan by Shila Jhunjhunwala
Shila Jhunjhunwala
Jan 2019 · Prabhat Prakashan
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136
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जापान में भी ईश्वर की पूजा-अर्चना; सेवा; देवों का आह्वान करने की रीतियाँ भारतीय जीवन से बहुत कुछ मिलती-जुलती हैं। भारत की तरह जापान में भी मकान बनाने से पहले भूमि-पूजन करते हैं। परिवार के मंगल के लिए पितरों से आशीर्वाद लेते हैं। गुरु-शिष्य परंपरा का दर्शन वहाँ भी होता है। जापान की पौराणिक कहानियों में पत्थर में परिवर्तित हुई लड़की अपने श्रीरामचरितमानस की अहल्या जैसी ही लगती है और जापान की सूर्य उपासना की पद्धति भारत के सूर्य नमस्कार के जैसी ही है। जिस प्रकार हिंदू कोई धर्म नहीं है; एक जीवन पद्धति है; उसी प्रकार शिंतो भी प्रकृति और मनुष्य के साहचर्य की जीवन पद्धति है; जिसका किसी दर्शन; धर्म; ग्रंथ अथवा उपदेश से साम्य नहीं है; बस वह रहन-सहन का एक तरीका भर है। जापान में भी दीपावली की तरह जगमगाहट है; होली की तरह रंगों की फुहार है; पतंगों के उत्सव में भिन्न-भिन्न प्रकार के पतंगों से रँगा हुआ पूरा आसमान है; शादी-विवाह के मौकों पर संगीत से सजी हुई महफिलें हैं तो साकुरा के बागों तले फूलों की अल्हड़ बरसात है; कठपुतलियों के नृत्य हैं। काबुकी के रंग-मंच में अभिनय के रंगों में रँगी हुई कोमल भावनाएँ हैं और भारत से मिलता-जुलता हर जगह बहुत कुछ है। यह पुस्तक इन्हीं अनुभवों पर आधारित एक प्रतिबिंब है; जिसमें जापान के अनेक रंगों को समेटने का प्रयास किया गया है।
Ratings and reviews
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Cetan Thakor
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October 5, 2019
जयेश
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