‘गेहूँ और गुलाब’ 1948 से 1950 के बीच लिखे शब्दचित्रों का संग्रह है; जिसमें 25 शब्दचित्र हैं। इनमें समाज; परिवार; व्यक्ति; संस्कृति; प्रकृति; किसान; मजदूर; समाज के अपवंचितों—डोम; कंजर; घासवाली; पनिहारिन इत्यादि के चित्र हैं। लेखक ने उद्घोषित किया है ‘‘यह पुस्तक है और आंदोलन भी।’’ वस्तुत: इस पुस्तक के शब्दचित्र ‘हैंड कैमरा के स्नैपशॉट’ हैं—‘हाथी दाँत पर की तसवीरें’।
‘लाल तारा’ 1938 से 1939 के बीच लिखे गए शब्दचित्रों का संग्रह है; जिसके लिए लेखक ने लिखा है—‘‘लाल तारा मेरे शब्दचित्रों का पहला संग्रह है। इसका पहला रूप उस जमाने में लिखा था; जब मैं सिर से पैर तक लाल-लाल था।’’ इनमें 16 शब्दचित्र हैं। वस्तुत: निविड़ अँधकार और घने कुहासे के परदे को फाड़कर पूरब के क्षितिज पर जगमग-जगमग करने वाला लाल तारा नए प्रभात का; नए समाज का; नई मानवता का; नई संस्कृति का प्रतीक है।
‘सतरंगा धनुष’ मुख्यत: 1937 से 1939 के बीच लिखे गए ललित निबंधों का संग्रह है; परंतु बाद में 1954 में ‘बूढ़ा कुत्ता’ तथा ‘बाँसुरी बजाए जा’ जोड़ा गया था। इस पुस्तक में 11 निबंध सम्मिलित हैं। इन निबंधों में उत्तरांचल (बिहार) की मिट्टी की सोंधी महक; लोक-संस्कृति की जीवंतता; ग्राम्य परंपरओं की मूर्तता एवं प्रकृति के रंग-बिरंगे चित्र अपनी पूरी ऊर्जस्विता के साथ विद्यमान हैं। वस्तुत: यह संकलन उत्तर बिहार की उबड़-खाबड़; किंतु सहज जिंदगी की; उनकी सारी विषमताओं; रीति-रिवाजों; आस्था और विश्वासों का गद्यकाव्य है।Gehoon Aur Gulab by Shriramvriksha Benipuri: "Gehoon Aur Gulab" authored by Shriramvriksha Benipuri is a book that delves into the themes of wheat and roses. The book explores these elements in a literary and metaphorical context.
Key Aspects of the Book "Gehoon Aur Gulab":
Symbolism: Shriramvriksha Benipuri uses wheat and roses as symbols to convey deeper meanings and emotions.
Literary Exploration: The book engages in literary analysis and interpretation of these symbols.
Metaphorical Significance: "Gehoon Aur Gulab" explores the metaphorical relevance of wheat and roses in human experiences.
Through "Gehoon Aur Gulab," Shriramvriksha Benipuri invites readers to contemplate the symbolic and metaphorical dimensions of wheat and roses in literature and life.