Dhyan Aur Taparpan: Dhyan, Dhyan Gaurav Aur Dhyan Ka Swagat Kaise Karen

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4.4
13 reviews
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ध्यान मार्ग : स्वयं के साथ-साथ लोककल्याण रहस्य

जब सब कुछ मन मुताबिक चल रहा हो तो किसी को ध्यान करने का ख्याल नहीं आता। लेकिन जैसे ही जीवन में दुःख, तनाव, अशांति उत्पन्न होती है, इंसान उनसे पीछा छुड़ाने और अच्छा महसूस करने के लिए ध्यान की ओर बढ़ता है।

या फिर वह अपने ऐसे गुणों को उभारने के लिए ध्यान की ओर आकृष्ट होता है, जिससे उसे ज़्यादा सांसारिक सफलता मिले। जैसे एकाग्रता, इच्छा शक्ति, संकल्प शक्ति, इनट्यूशन पावर बढ़ाना आदि।

आप भी यदि ऐसे किसी कारण से ध्यान में रुचि रखते हैं तो समझिए आप ध्यान की बहुत कम कीमत आँक रहे हैं। क्योंकि ये सभी लाभ तो ध्यान के साथ बोनस में आने ही वाले हैं लेकिन उससे आपकी जो उच्चतम संभावना खुलती है वह अकल्पनीय है।

प्रस्तुत ग्रंथ में आप ध्यान के उच्चतम लक्ष्य को जानेंगे, साथ ही उसे प्राप्त करने हेतु अलग-अलग ध्यान विधियों का अध्ययन करेंगे ताकि आप अपने स्वभाव अनुसार अपने लिए सर्वाधिक उचित ध्यान विधि का चयन कर सकें।

इसके अतिरिक्त आप जानेंगे ध्यान को स्वयं के साथ-साथ लोक कल्याण के लिए कैसे उपयोग करें ताकि ध्यान का आपके साथ-साथ पूरे विश्व को भी लाभ हो।

तो आइए, ध्यान, ध्यान का गौरव और ध्यान का स्वागत करने का उत्सव समारोह मिलकर शुरू करें।

Ratings and reviews

4.4
13 reviews
Sharva Patil
April 23, 2019
This is not just a book, but oceanic nectar of Silence. It takes beyond 'doing meditation' to 'Being meditation'. It dissolves the reader into the supreme serenity...It gifts the 'True Liberation' at experiential level. It transforms the herculean spiritual journey into a child's play! Wow! Thanks...
24 people found this review helpful
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Ajay singh
September 12, 2023
very nice Book
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Dattaji
November 10, 2019
Dhanywad
16 people found this review helpful
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About the author

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।

उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।

सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’

सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अॅण्ड सन्स इत्यादि।

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