Kamana Aur Ashanti: Aaram Main Har Kaam

· WOW PUBLISHINGS PVT LTD
4.4
149 reviews
Ebook
36
Pages
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About this ebook

- कामना- अशांति का कारण
- आध्यात्मिक नामों का महत्त्व
- आराम शब्द का गहरा अर्थ
- इंद्रियों का आराम
- इंद्रिय ध्यान
- कामनारहित आराम
- तमोगुणी, रजोगुणी और सत्वगुणी का आराम
- रिश्तों के साथ ध्यान

Ratings and reviews

4.4
149 reviews
Ravikiran Hingade
April 21, 2024
In this book Sirshree eloquently expands the notion of relaxation beyond the physical realm, using analogies to elucidate its depth. The meditation techniques outlined offer profound relaxation across all facets of life. Moreover, it addresses the common desire for validation from others, offering insights on achieving 'Aaramawastha' even in such interactions. Sirshree's guidance is invaluable in navigating the complexities of modern living. Gratitude for illuminating paths to true relaxation.
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A Google user
February 19, 2017
Context is very simple and common. Its not new which people are not aware. The examples should be those which people can easily relate rather than talking to objects to get relief. Good attempt but expected something different
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Sanil singh
March 28, 2017
Excellent thinking.... God bless you. 💐
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About the author

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।

उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।

सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’

सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अ‍ॅण्ड सन्स इत्यादि।

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