Soch Sako To Soch Lo

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এই ইবুকখনৰ বিষয়ে

20-20 ज़िंदगी की नई सुबह कैसे हो

 

                ज़िंदगी में कई बार हमें स्वयं को समेटने की ज़रूरत पड़ती है। दुःख... तनाव... परेशानी आकर हमें तोड़ देते हैं और ऐसा लगता है कि हमारी ज़िंदगी की वापस सुबह नहीं होगी। जबकि हर बार नई सुबह होती है जो हममें जोश... नयापन... पुरानी बातों से मुक्ति की भावना जगाती है और हम स्वयं को समेटकर उठ खड़े होते हैं।

                यदि सोच सको तो सोच लो कि यह नई सुबह अंधेरे के बाद ही क्यों आए? क्या यह सुबह अंधेरा होने से पहले आ सकती है? क्यों नहीं! यदि हर अंधेरे पर गहराई से मनन हुआ हो तो वह हमारी ज़िंदगी से हमेशा के लिए रुकसत हो सकता है।

                हरेक को अपने अंधेरे पर यानी अपनी गलत आदतों, बुरी भावनाओं, पुरानी वृत्तियों पर कार्य करना है। इस पर कैसे कार्य करना है, यह आपको प्रस्तुत पुस्तक बताएगी।

                इसमें आप पढ़ेंगे-

* 20-20 भविष्य का निर्माण कैसे करें

* ‘अच्छा लगने’ का राज़ क्या है

* कुदरत में कौनसे भाव बीज डालें

* संघर्ष युक्त जीवन से मुक्ति कैसे पाएँ

* अपनी मासूमियत को बरकरार कैसे रखें   

* मुकाबले की भावना से हो रहे नुकसान से कैसे बचें

* आदर के अहंकार को कैसे मिटाएँ

* अपनी मदद खुद कैसे करें

মূল্যাংকন আৰু পৰ্যালোচনাসমূহ

৪.৫
৩১ টা পৰ্যালোচনা

লিখকৰ বিষয়ে

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।


उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।


सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’


सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अॅण्ड सन्स इत्यादि।

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