"स्वस्तिक" काव्य संग्रह में आप विद्वतजनों को विविध विधाओं के अवलोकन होंगे। कहीं पारदर्शी ज्ञान तो कहीं आवर्जक संदेश। देशप्रेम की भावना, निश्छल प्रकृति के प्रति मानव की नीरसता। अपने त्रासद जीवन की परिमार्जन हेतु गुरूवंदना, लक्ष्मी आवाह्न, जगतारिणी से याचना। मातृ-ऋण का स्मरण, नारी दशा, अबोध शिशु के प्रति सांसारिक विभिन्न भाव साथ ही साथ आमोद- प्रमोद मनोरम कविताएं पढने को मिलेंगे।
आपकी स्नेहाकांक्षी
उमा झा