जब भी गांधीजी के बारे में कुछ सुना और पढ़ा जाता है, तब एक ही छवि सामने आती है—गोल चश्मा, बदन पर एक सूती धोती, जनेऊ पहने हुए, मुँड़े हुए सिर वाला एक साधारण इनसान लेकिन; साधारण होने में कितनी असाधारणता है, यह हमें गांधीजी से बेहतर कोई नहीं सिखा सकता। सन् 1931 में, जब गांधीजी लंदन गए तो उनको देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी थी, कैसा दिखता है वह इनसान, जिसने इतने बड़े साम्राज्य को हिलाकर रख दिया है। हिलाया ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में क्रांति को एक नई दिशा दी है। सिद्धांतों पर चलनेवाला एक असाधारण व्यक्ति, जिसके व्यक्तित्व ने पूरे विश्व को प्रभावित किया।