मै बस एक जिज्ञासु हूँ | पढ़ना, लिखना, और चिंतन करना मेरा नित्य कर्म है | 100 से अधिक पुस्तको का प्रकाशन हुआ यह तो निखिलेश्वरानन्द्जी की कृपा है | जीवन के कुछ प्रश्नो के उत्तर ढूँढने ज्योतिष की और एक कदम बढ़ाया और सद्गुरुशिवरूपी ने यहा तक पहूँचाया | जैसे-जैसे आगे बढ़ता गया इस महासागर मे एक से बढ़कर एक ज्ञान के रत्न मिले | वैदिक, केपी, हस्तरेखा, डाउजिंग, रेकी, वास्तु, रमल, टेरोट जैसे अद्भुत गूढ संसार मे मन-मस्तिस्क मग्न हुआ |