The Untold Vajpayee (Hindi)

Manjul Publishing
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E-book
228
Pages
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À propos de cet e-book

सांसद में नेहरूवाद से मिलते-जुलते अपने 'धर्मनिरपेक्ष' बयानों के बावजूद अटल बिहारी वाजपेयी यदा-कदा कट्टरपंथी जमात में थोड़ी घुसपैठ कर जाते थे I 1983 में उन्होंने असम चुनावों के दौरान भड़काऊ भाषण दिया जिससे प्रदेश में 'बांग्लादेशी विदेशियों' की मौजूदगी बड़ा मुद्दा बन गया I यहां तक कि भाजपा ने भी वाजपेयी के भाषण से किनारा कर लिया I संभवतः इस भाषण के कारण उस वर्ष असम के नल्ली में 2000 से अधिक लोगों का संहार हुआ, जिनमें से ज़्यादातर मुस्लिम थे I वाजपेयी भारत के चतुर राजनेताओं में से एक हैं और उन्हें कई तरह की विरोधाभासी बातें करने के लिए जाना जाता है : उग्रवादी राष्ट्रवादी से अपने गुप्त पारिवारिक जीवन तक, साम्यवाद के प्रति रुझान, भोजनप्रियता और यदि स्वयं को उदारवादी के रूप में पेश न कर सके तो मध्यमार्गी की तरह पेश करने तक I यह पुस्तक वाजपेयी के करियर के अहम पड़ावों और एक अनुभवी राजनेता के रूप में उनकी विशेषताओं को खंगालती हुई उनके अपनी पार्टी के नेताओं से संबंधों और आरएसएस तथा उसके सहयोगी संगठनों के साथ प्रेम व् द्वेष वाले संबंधों पर नज़र डालती है I बेहतरीन शोध, पुख़्ता तथ्यों से समर्थित तथा अंतर्कथाओं और उपाख्यानों के साथ, अंतर्दृष्टियों से युक्त साक्षात्कारों तथा सहेजने योग्य छायाचित्रों से सज्जित यह पुस्तक एक कवि-राजनेता के जीवन की झलक पेश करती है I 

Notes et avis

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À propos de l'auteur

केरल स्तिथ मार्क्सवादियों के गढ़ कुन्नूर में राजनीतिज्ञों के परिवार में जन्में उल्लेख एन.पी. एक पत्रकार और राजनितिक टिप्पणीकार हैं जो नै दिल्ली में रहते हैं I उन्होंने क़रीब दो दशकों तक इकोनॉमिक टाइम्स और इंडिया टुडे जैसे भारत के कुछ बड़े समाचार प्रकाशनों में कार्य किया है, और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टिंग के सिलसिले में देश तथा विदेशों में भ्रमण किया है I उनकी पहली पुस्तक वॉर रूम : द पीपल, टैक्टिकटिक्स एंड टेक्नोलॉजी बिहाइंड नरेंद्र मोदीज़ 2014 विन थी I वे ओपन पत्रिका के कार्यकारी संपादक हैं I

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