Udhar Ki Zindagi

· Vani Prakashan
4,0
1 ta sharh
E-kitob
160
Sahifalar soni
Reytinglar va sharhlar tasdiqlanmagan  Batafsil

Bu e-kitob haqida

इस जगत् से प्राप्त अनुभूतियों-स्वानुभूतियों को मूर्त रूप देने में जयप्रकाश कर्दम के यहाँ जो उद्यम दिखता है, वह दृष्टि, कथ्य और भाषा के स्तर पर इन्हें अपने दलित अहान में औरों से अलग ही नहीं करता, विशिष्ट भी बनाता है।

कर्दम जी के नये कहानी-संग्रह का नाम है उधार की ज़िन्दगी। नाम से ही पता चलता है कि संकलित कहानियाँ युगों की पीड़ा और संघर्ष के किस गह्वर से गुज़रने का परिचय देने वाली हैं, और हमारी उनसे संवाद की कसौटी क्या होगी !

संग्रह की पहली कहानी ही पुस्तक-शीर्षक है। यह कहानी बताती है कि गाँवों में सामन्ती ढाँचा भले ढह गया हो लेकिन सोच अभी भी शेष है, इसलिए जाति-भेद अपनी जगह खाड़। तभी तो दलित सवर्णों की तरह पर्व-त्योहार में खुशियाँ मनाने या शादी-ब्याह में घोड़ी पर बारात निकालने की सोचें तो हज़ार मुसीबतें, क्योंकि यह सीधे-सीधे बराबरी को चुनौती। बावजूद वे ऐसा करते हैं, उनसे मिलने वाले काम बन्द होंगे ही, उनके खेतों में शौच करने पर रोक होगी ही, खून-ख़राबे की भी नौबत । पुरानी पीढ़ी भुक्तभोगी है, दुश्मनी मोल लेने को तैयार नहीं, लेकिन नयी पीढ़ी तैयार, वह अपने को लोकतान्त्रिक देश का नागरिक जो मानती है। वह जानती है, संविधान उसे बराबरी का हक़ देता है। इसलिए वह ऐलान करती है, अब हमें नहीं चाहिए उधार की ज़िन्दगी। वह इस बदलाव के लिए 'बहिष्कार' कहानी में पुजारी द्वारा अछूतों के मन्दिर में जाने पर रोक लगाने के कारण यह निर्णय लेने से भी नहीं चूकती कि जब भगवान हमारे लिए नहीं तो ऐसे स्थलों का बहिष्कार करें और अम्बेडकर जैसे उन महापुरुषों के नाम भवन बनायें, जिनके कारण दमित जीवन में बदलाव आया, समानता का अधिकार मिला। और यह अधिकार हर स्तर पर हर युग में बना रहे, इसलिए शिक्षा बहुत ज़रूरी। शिक्षा ही वह दृष्टि है जो 'प्रवचन' कहानी में एक 'बाबा' को अपने वैज्ञानिक तर्कों से निराधार कर पाखण्डी सिद्ध कर पाती है। यह शिक्षा ही जो 'मास्टर धर्मदास' कहानी में धर्मदास को दलित शिक्षक होने के बावजूद बड़ी जातियों की नज़र में भी, महँगी शिक्षा के विरुद्ध गाँव में ही समुचित शिक्षा की व्यवस्था का विकल्प तैयार करने वाला, अपना नायक बनाती है। यह उसी से प्रेरणा कि 'चोर' कहानी का वह दलित पात्र, जिसे सवर्णों के यहाँ भाड़े पर मकान न मिलने की अनेक कठिनाइयाँ, जाति छुपाकर नहीं रहना चाहता कि यह उसके स्वाभिमान के ख़िलाफ़ । 'दरार' कहानी में तो प्रेम के लिए भी जाति छुपाना सम्मान और स्वाभिमान के ख़िलाफ़ । तभी तो 'घर वापसी' का पात्र शील गोदी मीडिया के चरित्र पर उँगली उठाता है और धर्म के ठेकेदार पैनलिस्टों से कहता है कि दलित-आदिवासी आपके गुलाम नहीं और न आप उनके मालिक। उनको समानता चाहिए, घृणा से मुक्ति और रोज़गार चाहिए, वो किसी की राजनीति के वोट नहीं।

इस संग्रह की एक बेहद महत्त्वपूर्ण कहानी है 'वर्जिन' । पुरुषवादी समाज में एक सुन्दर लड़की के लिए उन्मुक्त जीना कितनी दुश्वारियों का जाल, प्रत्यक्ष देखने को मिलता है। आख़िर भय से त्रस्त वह लड़की एक दिन अपना कौमार्य बेचने को मजबूर हो जाती है कि जब कोई अपनी ताकत से उसे भोगना ही चाहता है, क्यों न वह अपनी क़ीमत पर सब तय करे। और अन्त में वह विजय भी हासिल करती है कि समाज में सब एक जैसे नहीं । कह सकते हैं कि अपने समय, समाज का सच लिखने के लिए जोखिम उठाने का साहस और उसे व्यक्त करने की कला जो जयप्रकाश कर्दम में है, वह उन्हें एक उल्लेखनीय क़लमकार बनाती है। उधार की ज़िन्दगी एक ऐसा कहानी-संग्रह है जिसमें जितने ज़रूरी सवाल, उतने ही ज़रूरी कई जवाब भी हैं।

Reytinglar va sharhlar

4,0
1 ta sharh

Muallif haqida

जयप्रकाश कर्दम -

जन्म : 05 जुलाई 1958 को ग्राम-इन्दरगढ़ी, हापुड़ रोड, ग़ाज़ियाबाद (उत्तर प्रदेश) में ।

शिक्षा : एम.ए. (दर्शनशास्त्र, हिन्दी, इतिहास), पीएच.डी. (हिन्दी)। साहित्य-सृजन : हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं में 50 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित ।

कई पुस्तकें और रचनाएँ देश-विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में शामिल। कर्नाटक राज्य में प्रथम प्री-यूनिवर्सिटी (सीनियर सेकेंडरी) के हिन्दी पाठ्यक्रम में भी एक कहानी शामिल ।

कई पुस्तकों सहित अनेक रचनाएँ देश/विदेश की अनेक भाषाओं में अनूदित एवं प्रकाशित ।

साहित्य पर शोध : देश/विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों में जयप्रकाश कर्दम के साहित्य पर 70 से अधिक शोध-कार्य सम्पन्न । कई शोध-कार्य जारी हैं।

पुरस्कार/सम्मान : केन्द्रीय हिन्दी संस्थान द्वारा 'महापण्डित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार', हिन्दी अकादमी दिल्ली द्वारा 'विशेष योगदान सम्मान', उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा 'लोहिया साहित्य सम्मान', दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा 'सन्त रविदास सम्मान', सत्यशोधक समाज, मुम्बई द्वारा 'सत्यशोधक सम्मान' और हिन्दी संगठन, मॉरिशस द्वारा 'हिन्दी सेवा सम्मान' सहित अनेक सम्मान पुरस्कारों से सम्मानित ।

केन्द्रीय हिन्दी प्रशिक्षण संस्थान, नयी दिल्ली के निदेशक-पद से सेवानिवृत्त ।

सम्पर्क : 343, संस्कृति अपार्टमेंट्स, सेक्टर-19 बी, द्वारका, नयी दिल्ली-110075

Bu e-kitobni baholang

Fikringizni bildiring.

Qayerda o‘qiladi

Smartfonlar va planshetlar
Android va iPad/iPhone uchun mo‘ljallangan Google Play Kitoblar ilovasini o‘rnating. U hisobingiz bilan avtomatik tazrda sinxronlanadi va hatto oflayn rejimda ham kitob o‘qish imkonini beradi.
Noutbuklar va kompyuterlar
Google Play orqali sotib olingan audiokitoblarni brauzer yordamida tinglash mumkin.
Kitob o‘qish uchun mo‘ljallangan qurilmalar
Kitoblarni Kobo e-riderlar kabi e-siyoh qurilmalarida oʻqish uchun faylni yuklab olish va qurilmaga koʻchirish kerak. Fayllarni e-riderlarga koʻchirish haqida batafsil axborotni Yordam markazidan olishingiz mumkin.