महाराज कृष्णदेव राय – वर्ष 1509 से 1529 तक विजयनगर के राजा थे, तब तेनालीराम उनके दरबार में एक हास्य कवी और मंत्री सहायक की भूमिका में उपस्थित रहा करते थे। लोगों का मानना है कि तेनालीराम एक हास्य कवी होने के साथ-साथ एक महा-ज्ञानी एवं चतुर व्यक्ति थे। अपनी इसी खूबी की बदौलत राज्य से जुड़ी हर मुश्किल का हल वे पल भर में निकाल लिया करते थे। शायद यही वजह थी की महाराज कृष्णदेव राय को वे बहुत प्रिय थे। उनकी बुद्धि, चातुर्य और ज्ञान बोध से जुड़ी बहुत सी रोचक कहानियाँ है। जिन में से कुछ हम इस किताब के माध्यम से आप तक ले कर आ रहे हैं। ये कहानीयाँ ना केवल आपके ज्ञानवर्धन में सहायक होंगी बल्कि ज़िंदगी और परिस्थितियों को लेकर एक नए नज़रिए का विस्तार में भी कारगर साबित हो सकती हैं।
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