बस...एक अल्हड़पन...किसी की हंसी में अपनी खुशी ढूंढता आवारा मन...।
ये कविताएं उसी दौर की हैं...जो उनसे निकल गए हैं उन्हें एहसास करवाएगा कि..."वो भी क्या दिन थे"...और जो उस दौर में जी रहे... उन्हें उनके आज के पल को पूरी शिद्दत से जीने की प्रेरणा देगा...।
"प्रेम पाना या खोना नहीं...
प्रेम तो बस होना है..." ।
Prem Solanki is the author of this book.