राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अर्थ है-“अपनी इच्छा से राष्ट्र की सेवा करनेवालों का अनुशासित समूह” | इसीलिए देश की सीमाओं पर या देश के अंदर किसी भी संकट में स्वयंसेवक सबसे पहले और सबसे आगे खड़े मिलते हैं |
संघ की सबसे बड़ी विशेषता उसकी कार्यप्रणाली है | संघ की वृद्धि का कारण भी यही है | इसी से वह अन्य संगठन और संस्थाओं से अलग है | बाकी संस्थाएँ धरना-प्रदर्शन, वार्षिकोत्सव, धर्मसभा आदि के माध्यम से काम करती हैं; पर संघ की कार्यप्रणाली का केंद्र दैनिक शाखा और उसमें होनेवाले कार्यक्रम हैं |
स्वयंसेवक की पहचान उसके राष्ट्रीय विचार और सद्व्यवहार से होती है, किसी विशिष्ट वेश या बाहरी चिह्न से नहीं ।संघ हिंदू समाज में नहीं, हिंदू समाज का संगठन है ।इसलिए स्वयंसेवक समाज में बाकी सबकी तरह ही रहता है |
संघ की कार्यप्रणाली की एक बड़ी विशेषता उसका लचीलापन है। समय, स्थान और माहौल के अनुसार इसमें कई बार परिवर्तन हुए हैं । पहले सैन्य परेड, सैनिक गणवेश और शस्त्र प्रशिक्षण पर जोर रहता था; पर फिर खेल, योगासन और नियुद्ध आदि आ गए | गणवेश भी कई बार बदला है | इस लचीलेपन के कारण प्रतिबंधों के समय भी किसी-न-किसी रूप में संघ का काम चलता रहा।Rashtriya Swayamsevak Sangh: Kya, Kyon, Kaise? by Vijay Kumar: "Rashtriya Swayamsevak Sangh: Kya, Kyon, Kaise?" is a book authored by Vijay Kumar. This book may provide an in-depth exploration of the Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS), examining its history, ideology, and organizational structure.
Key Aspects of the Book "Rashtriya Swayamsevak Sangh: Kya, Kyon, Kaise?":
RSS Overview: The book may offer a comprehensive overview of the RSS, its founding principles, and its role in Indian society.
Ideological Insights: It might delve into the ideological underpinnings of the RSS, exploring its stance on various social and political issues.
Organizational Dynamics: "Rashtriya Swayamsevak Sangh: Kya, Kyon, Kaise?" may examine the organizational structure and functioning of the RSS.
The author, Vijay Kumar, likely has a keen interest in social and political organizations in India and aims to provide readers with a deeper understanding of the RSS.