Vishwa Ke Pracheen Vaigyanik: Vishwa Ke Pracheen Vaigyanik: The Pioneers and Innovators of Ancient Science and Technology

· Prabhat Prakashan
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आप कल्पना कीजिए कि यदि पहिए का आविष्कार न हुआ होता तो क्या मानव विकास कर पाता! कंप्यूटर के बिना क्या आज के मानव जीवन की कल्पना की जा सकती है।
अस्तु; यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि जिस एक विधा ने मानव जीवन को एक नई दिशा और एक नया मार्ग दिखाया है; वह है विज्ञान। चिकित्सा; खगोल विज्ञान; कंप्यूटर; भू-विज्ञान आदि क्षेत्रों में विज्ञान की नई-नई खोजों; आविष्कारों और नवाचार ने पृथ्वी का स्वरूप ही बदल दिया। इन आविष्कारों और खोजों को करनेवाले महान् वैज्ञानिकों ने अप्रतिम योग्यता और प्रतिभा का परिचय देकर गहन अध्ययन; अनुसंधान और शोध करके नाना प्रकार की वस्तुएँ; तकनीक; सूत्र और प्रमेय ईजाद किए; जो कालांतर में मानव सभ्यता के विकास की नींव का पत्थर साबित हुए।
प्रस्तुत पुस्तक में ऐसे ही विश्व विख्यात वैज्ञानिकों के व्यक्तित्व व कृतित्व का संक्षिप्त लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जा रहा है; जिन्होंने इस संसार को नए मापदंड दिए। इसमें उस समय की राजनीतिक परिस्थितियाँ; नई-नई खोजों के लिए उत्सुकता तथा उन वैज्ञानिकों के समक्ष आई कठिनाइयों का दिग्दर्शन है। अत्यंत पठनीय एवं प्रेरक वैज्ञानिक जीवनियों का संकलन।

Ratings and reviews

4.1
21 reviews
ماہر آذاد
September 10, 2020
Very nice thanks sir Best 📙 🤔 👌
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kunta chouhan
November 2, 2021
मैने book का paymet किया पर book download नही हो रही hai क्या करू?..... help please🙏🙏🙏🙏🙏
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Abhinash Sharma
June 19, 2022
good
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About the author

12 जनवरी, 1960 को जनमे विनोद कुमार मिश्र मात्र तीन वर्ष की आयु में पोलियोग्रस्त हो गए थे। 80 प्रतिशत विकलांगता के बावजूद वह आज कर्मठता के शिखर पर एक उदाहरण बन गए हैं। सन् 1983 में उन्होंने रुड़की विश्वविद्यालय (आईआईटी) से इलेक्ट्रॉनिक्स व दूरसंचार में डिग्री प्राप्त की और फिर एम.बी.ए. किया। अब तक उनकी 68 पुस्तकें व 400 से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं। ‘विकलांगता ः समस्याएँ व समाधान’, ‘विकलांग विभूतियों की जीवन-गाथाएँ’, ‘कमजोर तन, मजबूत मन’, ‘विकलांगों के लिए रोजगार’, ‘Eminent Disabled People of the World’, ‘Career Opportunities for the Disabled’, ‘विकलांगों के अधिकार’, ‘इक्कीसवीं सदी में विकलांगता’, ‘विकलांग स्वस्थ और आत्मनिर्भर कैसे बनें’, ‘थॉमस अल्वा एडिसन’, ‘अल्बर्ट आइंस्टाइन’, ‘सौर ऊर्जा’, ‘चार्ल्स डार्विन’, ‘लियोनार्दो द विंची’, ‘निकोलस कॉपरनिकस’, ‘सचित्र विज्ञान विश्वकोश’ (3 खंडों में) तथा ‘अल्फ्रेड नोबल’ आदि इनकी प्रमुख कृतियाँ हैं। इन्होंने ‘भारत में विज्ञान और भारतीय वैज्ञानिक’, ‘साधारण आविष्कारों की असाधारण सफलताएँ’, ‘वैज्ञानिक भारत का निर्माण’ एवं ‘अक्षय ऊर्जा स्रोत’ जैसी विज्ञान संबंधी महत्त्वपूर्ण कृतियाँ भी दी हैं। उन्हें ‘राष्ट्रपति पदक’, हिंदी अकादमी द्वारा ‘साहित्यिक कृति सम्मान’, योजना आयोग द्वारा ‘कौटिल्य पुरस्कार’ तथा ‘प्राकृतिक ऊर्जा पुरस्कार’ जैसे अनेक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। संप्रति ः भारत सरकार के एक उद्यम में सहायक महाप्रबंधक।

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