Charag

· Manjul Publishing
4.3
20 reviews
Ebook
174
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About this ebook

वसीम बरेलवी की रचनायें खास व आम दोनों ही तरह के लोगों की ज़बान पर रहते हैं I इनकी इन्हीं रचनाओं का संकलन है चराग I आसान और आम फ़हम ज़बान का इस्तेमाल कर वसीम की शायरी सभी का दिल जीत लेती है I चराग में वसीम बरेलवी अपना जुड़ाव इस युग, माहौल और मिट्टी से भरपूर दर्शाते हैं I वह सिर्फ़ काल्पनिक दुनिया की बातें नहीं करते बल्कि अपने आस-पास से पूरी तरह बाख़बर रहते हैं और जदीद मौजूआत, अर्थात समकालीन समस्याओं और घटनाओं पर पूरी नज़र रखते हुए इन्हें अपनी शायरी का हिस्सा बनाते हैं I 

Ratings and reviews

4.3
20 reviews
HAMZA
January 20, 2019
nice book indegues in marvelus topic for the society
11 people found this review helpful
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Fahad Nadeem
August 12, 2018
Mujhe Hindustan ki Hindi zabaan samajh main nahi aati
17 people found this review helpful
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S.P.BiSHNOI 029
January 13, 2024
very nice
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About the author

वसीम बरेलवी का सम्बन्ध मुरादाबाद के जागीरदारी घराने से है I इस घराने में बड़े-बड़े महान विद्यावान और साहित्यकार होते रहे हैं I उन्होंने 1958 में आगरा विश्वविद्यालय से उर्दू में एम.ए. किया I जल्दी ही उनकी नियुक्ति देहली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज में हो गयी I इसी दौरान उन्होंने मुशायरों में जाना शुरू कर दिया I कई ज़गह नियुक्ति के बाद जून 2000 में डीन के पद से कार्यमुक्त होकर वः पूर्ण रूप से शायरी को समर्पित हो गए I देश-विशेष में उन्हें असंख्य अवार्ड और सम्मान मिल चुके हैं I हिंदी उर्दू साहित्य अवॉर्ड , कैफ़ी आज़मी अदबी अवॉर्ड, फ़िराक इंटरनेशनल अवॉर्ड और अली सरदार जाफ़री अवॉर्ड यू.स.ए. शुरू होने के बाद सबसे पहले उन्हें ही प्रदान किए गएI

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