नारी अन्तर्मन की व्यथा-कथा बयान करती, समाज को सीख देती अद्भुत रचनाधर्मिता प्रस्तुत करती यह काव्य पुस्तक सम्पूर्ण समाज को आइना दिखाने का कार्य करेगी, कवयित्री ने यह मंथन कर अपने विचार काव्यरूप में प्रस्तुत किये हैं जो सर्वथा उचित जान पड़ते हैं । लेखनशैली वाकई सशक्त और प्रभावशाली है जो अपना असर अवश्य दिखायेगी । समाज की पीड़ा को जिस अंदाज में कवयित्री शिखा कौशिक ने पेश किया है वह प्रशंसनीय है । ‘ये तो मोहब्बत नहीं’ पुस्तक का शीर्षक सहज ही ‘स्त्री वेदना’ को प्रकट कर रहा है जो आज के समाज के लिए एक कलंक ही है । जिस समाज में स्त्री सुखी नहीं वह कभी तरक्की नहीं कर सकता । बातों ही बातों में कवयित्री की लेखनी समाज को सुधारने की बात कहती है । जिसकी नितान्त आवश्यकता है । अनेक रचनाएं अत्यंत मर्मस्पशी प्रभाव छोड़ती प्रतीत हो रही हैं जिनका भावपक्ष सुहृदयों को पिघलाकर रख देगा । इस पुस्तक की सफलता की मंगलकामना करते हुए कवयित्री शिखा कौशिक ‘नूतन’ को अनेकानेक बधाई और शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ