bhagwaan kaun

· ojaswi books
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Электрон ном
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ऋषियों की उद्घोषणा

हमारे ऋषि-महर्षियों को जब ऐसी दिव्यतम अनुभूतियाँ हुई तो वे बोल उठे –

हे विश्व के अमृत पुत्रों, सुनो ! हमने उस अमर तत्त्व को जान लिया है | आप भी उसी तत्त्व को जान लो |

यह उपनिषद् के ऋषियों की घोषणा है |

यही घोषणा श्रीकृष्ण ने की है | हे अर्जुन ! जो मैं हूँ वही तू है | फर्क इतना है कि तू जानता नहीं है, तुझे स्मरण नहीं है और मैं जानता हूँ | इस अनुभूति के लिए योग कर –

तस्माद्योगी भवार्जुन : (गीता अ.६/४६)

भगवद्तत्त्व को जानकार मनुष्य भी भगवत् स्वरुप हो जाता है, इसलिए ऋषियों ने यह घोषणा कर दी कि ‘अहम् ब्रह्मास्मि’ यानी ‘मैं ही ब्रह्म हूँ’ और वह ब्रह्म कोई एक देशीय नहीं होता |


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Зохиогчийн тухай

 इस पुस्तक के लेखक narayan sai'' एक सामाजिक एवं आध्यात्मिक स्तर के लेखक है | उसीके साथ वे एक आध्यात्मिक गुरु भी है |  उनके द्वारा समाज उपयोगी अनेको किताबें लिखी गयी है | वे लेखन के साथ साथ मानव सेवा में सदैव संलग्न रहते है | समाज का मंगल कैसे हो इसी दृढ़ भावना के साथ वे लेखन करते है |

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