sakshatkaar ki raah

· ojaswi books
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साक्षात्कार की राह

जिसे अपनी आत्मा में दृढ़ धारणा है और संसार नीरस भासता है – वह पूजनीय, वंदनीय हो जाता है |

संसार से वैराग्य, संतों की संगति, आत्मा में प्रीति – जिसको मिली वह तो तरा, दूसरों को तारने का सामर्थ्य भी पाया |

परिच्छिनता मिटते ही महासुख की प्राप्ति होती है |

आत्मा में दृढ़ अभ्यास और संसार से वैराग्य होते ही स्वभाव सत्ता प्रगट हो जाती है |

ईश्वर दूर नहीं, भेद नहीं | अनुभवस्वरुप, ज्योति, परम बोधस्वरुप है |

जहाँ अज्ञान ही आनंद है, वहाँ बुद्धिमान बनना नादानी है |

‘सत्यं ज्ञानं अनन्तं ब्रह्म’ – ब्रह्म सत्यस्वरूप, ज्ञान स्वरुप और अनंत है तथा मेरा ही स्वरुप है, ऐसा साक्षात्कार हो जाएगा |

विचाररूपी मित्र का परिवार है – स्नान, दान, तपस्या, ध्यान |

Ratings and reviews

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Sameeran Gaikwad
22 November 2019
Great book....
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About the author

 इस पुस्तक के लेखक 'narayan sai ' एक सामाजिक एवं आध्यात्मिक स्तर के लेखक है | उसीके साथ वे एक आध्यात्मिक गुरु भी है |  उनके द्वारा समाज उपयोगी अनेको किताबें लिखी गयी है | वे लेखन के साथ साथ मानव सेवा में सदैव संलग्न रहते है | समाज का मंगल कैसे हो इसी दृढ़ भावना के साथ वे लेखन करते है | 

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