Kafka Ki Lokpriya Kahaniyan: Bestseller Book by Kafka: Kafka ki Lokpriya Kahaniyan

· Prabhat Prakashan
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और तभी इस कारवाँ के मुखिया ने अपना चाबुक उनकी पीठ पर चलाया। अधूरे आनंद से अभिभूत अपना सिर उठाया तो सामने अरबी को खड़ा पाया। अपने नथुने पर चाबुक का प्रहार पड़ते ही वे पीछे की ओर भाग खड़े हुए। ऊँट का मृत शरीर कई जगहों पर खोल दिया था तथा उससे खून बह रहा था। लेकिन सियार बहुत देर तक वहाँ जाने से स्वयं को रोक नहीं सके; और एक बार फिर वे वहाँ पहुँच गए। एक बार फिर मुखिया ने अपना चाबुक उठाया; लेकिन इस बार मैंने उसका हाथ रोक दिया।
इस धरती पर हर जगह; यहाँ तक कि अब मैंने स्वयं को स्वतंत्र कर लिया था; अब तब भी जब ज्यादा कुछ आशा करने को था नहीं। किस प्रकार उन्होंने इस आदत को छोड़ने; अपनी हार मानने से मना कर दिया; बल्कि बहुत दूर से भी हमारे ऊपर नजर लगाए हुए थे और उनके साधन वही थे। वे हमारे सामने ही सारी योजनाएँ बनाते; जहाँ तक नजर जाती देखते; जहाँ हमारा लक्ष्य होता वहाँ हमें जाने से रोकते हैं; बल्कि अपने निकट ही हमारे ठहरने की व्यवस्था करते हैं और अंततः जब हम उनके व्यवहार का विरोध करते हैं तो वे सहज ही उसे स्वीकार करते हैं।
—इसी संग्रह से
प्रसिद्ध कथाकार काफ्का की रोचक-पठनीय-लोकप्रिय कहानियों का संकलन।

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