चंद्रकांता संतति (छह भाग में) - ‘चद्रंकांता संतति' द्वेष, घृणा एवं ईर्ष्या पर प्रेम के विजय की महागाथा है जिसने उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम दशकों में धूम मचा दी थी। देवकीनदंन खत्री के उपन्यास को पढ़ने के लिए लाखों लोगों ने हिन्दी सीखी थी। करोड़ों लोगों ने इन्हें चाव के साथ पड़ा था और आज तक पढ़ते आ रहे हैं? हिन्दी की घटना प्रधान तिलिस्म और ऐयारी उपन्यास-परपंरा के ये एकमात्र प्रवर्तक और प्रतिनिधि उपन्यास हैं। कल्पना की ऐसी अद्भुत उड़ान और कथा-रस की मार्मिकता इन्हें हिन्दी साहित्य की विशिष्ठ रचनाएं सिद्ध करती है।