अकसर ही मन में विचारों की एक शृंखला चलती रहती है। एक विचार अगले विचार को जन्म देता है और हमारा दिमाग इसी में व्यस्त रहता है। ध्यान विधियों में कहा गया है विचारों की गति को रोकें, विचार मुक्त होने का प्रयास करें। इसके लिए जब मन में विचार आएँ तो उन्हें आने-जाने दें, उनमें खोएँ या उलझें नहीं। बस एक दर्शक की तरह विचारों के प्रवाह को देखें। किसी विचार को पकड़कर उसे गति न दें। इससे धीरे-धीरे विचार की गति धीमी होती जाएगी और कम विचार आएँगे। मन को एकदम विचारमुक्त करने में कितना समय लगेगा? यह आपकी इच्छाशक्ति और प्रयास की गंभीरता पर निर्भर करता है। यही ध्यान की गहराई में जाने का रास्ता है। इसलिए धैर्य, लगन और सकारात्मक सोच के साथ प्रयास करते रहें।