* ‘कैसी किस्मत है मेरी! इतनी मेहनत के बावजूद मुझे कभी कुछ नहीं मिलता’, अगर आप भी अपने बारे में ऐसा सोचते हैं तो स्वयं को यह पुस्तक जरूर भेंट दें। यह भेंट आपके जीवन की काया और बुद्धि दोनों सकारात्मक रूप से बदल सकती है।
* यह पुस्तक आपके बंद किस्मत की चाभी खोल सकती है, जरूरत है केवल आपके अनुमति की। जी हाँ! आपकी अनुमति के बगैर आपकी किस्मत भी बदल नहीं सकती इसलिए यह पुस्तक पढ़कर अपने मन को प्रतिपल अपनी किस्मत बदलने के लिए राज़ी करें।
* विश्व में ज्यादातर लोग स्वमत या लोकमत के आधार पर जीवन के निर्णय लेते हैं। किंतु कई बार लोगों को मिला हुआ मार्गदर्शन भटका देता है। यह पुस्तक एक सच्चा अवसर है किस्मत, भाग्य तथा जीवन को नए आयाम के साथ देखकर नकारात्मक भावनाएँ और दुर्भाग्य से मुक्ति पाने का।
* आप स्वयं को किस्मतवाला मानें या दुर्भाग्यशाली, दोनों अवस्थाओं में यह पुस्तक आपके लिए वरदान सिद्ध होगी। इस पुस्तक के द्वारा आप जिस अवस्था में हैं, वहाँ से आगे बढ़ पाएँगे।
* कई बार इंसान यह सत्य नहीं जानता कि उसके अंदर चलनेवाला हर विचार प्रार्थना ही है। कुदरत इंसान के हर विचार को हकीकत में बदलती है। केवल कुदरत के कार्य करने का तरीका इंसान समझ नहीं पाता। यह पुस्तक सरल उपाय है प्रार्थना की शक्ति द्वारा कुदरत के नियमों के अनुसार जीवन बदलने का।
सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।
उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।
सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’
सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अॅण्ड सन्स इत्यादि।