Adhyatmik Upnishad: Satya Ki Upasthiti Me Janmi 24 Kahaniyan

· WOW PUBLISHINGS PVT LTD
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मुक्त अवस्था प्रकट करने का राज़
सत्य का एक वाक्य आपके अंदर के कबीर को प्रकट कर सकता है… द्रोणाचार्य की एक मूर्ति एकलव्य के तेज को उत्पन्न कर सकती है तो एक मनन संकेत आपकी भी ज़िंदगी बदल सकता है| लेकिन शर्त यह है कि आपमें ग्रहणशीलता और मनन द्वारा मोती चुनने की कला हो| ये आपके अंदर नहीं हैं तो असीम ज्ञान भी, छेदवाली बालटी में भरे गए पानी की तरह बह जाएगा|
जब इंसान अपनी गलतियों पर मनन कर उससे सीख प्राप्त करता है, अवगुणों पर मनन कर उन्हें मिटाने के लिए कार्य करता है तभी वह इनसे मुक्त हो पाता है| मनन इतना गहरा करें कि क्रिया स्वत: ही शुरू होकर मुक्ति की अवस्था प्रकट हो जाए और हर राज़ खुल जाए|
इसी लक्ष्य को आसान करने के लिए इस पुस्तक में कुछ चुनिंदा प्रेरक कहानियों के साथ-साथ कुछ सवालों को संकलित किया गया है| जिनका पठन करते हुए आपको मनन से मोती चुनने की कला तो मिलेगी ही, साथ ही वैसा ही जीवन जीने की प्रेरणा भी मिलेगी| जैसे-
* दूसरों की उच्चतम सहायता कैसे करें
* झूठ और कपट से कैसे बचें
* पतन का मूल कारण क्या है
* बाधा को चुनौती कैसे बनाएँ
* कमज़ोरी को ताकत कैसे बनाएँ
* जीवन में गुरु की आवश्‍वकता क्यों है

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About the author

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।

उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।

सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’

सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अ‍ॅण्ड सन्स इत्यादि।

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