Mekh (Sushi Katha)

· Sushi Katha पुस्तक 11 · Storyside IN · Ganesh Mane और Sanket Mhatre की आवाज़ में
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माझी अडचण लक्षात आली का काका? "तू...तू" मी भूत आहे! पण तुम्ही घाबरू नका. तुम्हाला त्रास द्यावा, झपाटावं, असा विचारही मी करू शकत नाही. मी अगदीच घाबरलेलो असं पाहून तो म्हणाला, "तुम्ही चांगले आहात, मला मदत कराल. दुसरा कोणी माणूस असता, तर...! खरं सांगायचं, तर मी घाबरलो होतोच. अवाक् झालो होतोच होतो. अरे, अपरात्री रस्त्यात एक लहान मुलगा भेटला. इतक्या अपरात्री... अंधारात हा जाणार कुठे, म्हणून ह्याला रूमवर आणला. तर... चक्क भुतालाच बोट देऊन घरात घेऊन आलो आपण! काय होणार पुढे मग? जाणून घ्या शिरवळकर यांच्या धमाल कथेत... ऐका- 'मेख'.

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