बैंक कैशियर जोगेंद्र सिंह की सीधी सादी ज़िंदगी में भूचाल तब आया जब उसके बैंक को लूटने की कोशिश करने वाले लुटेरों में से एक की शिनाख्त करने के लिए उसे बुलाया गया. एक ज़िम्मेदारी शहरी का फ़र्ज़ निभाने के नेक इरादे ने जोगेंद्र को ऐसे चक्कर में फँसाया कि हर कोई उसकी जान का दुश्मन हो उठा. जोगेंद्र सिंह ने अपना नाम, अपना शहर, अपनी पहचान सब बदल लिए लेकिन वे फिर भी उसके पीछे आते गये. क्या क़ानून जोगेंद्र सिंह की हिफ़ाज़त कर पायेगा या उसे अपनी हिफ़ाज़त ख़ुद करनी पड़ेगी?