दूसरे दिन प्रातः लगभग 10 बजकर 40 मिनट पर अचानक ही मेरे मोबाइल पर कल स्वर्गवासी हुए अपने मित्र के मोबाइल नंबर की घंटी बज उठी तो मैंने सोचा कि भाभीजी ने मित्र के शांतिपाठ की तिथि व समय बताने के लिए मुझे फोन लगाया है इसलिए हमने तुरंत ही गंभीरता ओढ़ते हुए अपने मोबाइल के स्विच को उनकी बात सुनने के लिए ऑन कर दिया तो उधर से अपने स्वर्गवासी मित्र की चिरपरिचित कड़कदार आवाज सुनाई दी। वह बोला—‘‘लो भाई, मैं तुम्हारा परममित्र सक्सेना बोल रहा हूँ। हम तो आज प्रातः 8 बजे 6ई 554 इंडिगो फ्लाइट से सशरीर उड़कर धरती के स्वर्ग यानी श्रीनगर कश्मीर पहुँच चुके हैं। पूरे दस दिन तक इस स्वर्ग में रहकर स्वर्गवासी रहेंगे। मुगल बादशाह जहाँगीर ने श्रीनगर कश्मीर के बारे में सही ही कहा था कि अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं है, यहीं है।’’
—इसी संग्रह से