धमाकों के शुरू होते ही सारी चहल-पहल ठहर गई थी। जो जहाँ था; वहीं रह गया। आतंकियों ने इतनी तेजी से पूरे होटल की अलग-अलग जगहों को निशाना बनाया था कि किसी को कुछ सोचने-समझने का मौका ही न मिला। सुरक्षा-कर्मचारियों ने फिर भी बड़ी मुस्तैदी से अपना काम सँभाला; और जितना संभव हो सका; मेहमानों को उनके कमरों में; या किसी अन्य सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया। अधिकतर कमरों; रेस्टोरेंट; किचेन आदि को मजबूती से बंद कर दिया गया; ताकि उसके अंदर लोग सुरक्षित रह सकें। होटल के कर्मचारियों को भी सुरक्षित स्थानों पर ही बने रहने की हिदायत दे दी गई। कमरों में अँधेरा कर देने के निर्देश दे दिए गए; ताकि किसी परछाईं से भी आतंकियों को यह आभास न हो सके कि किसी कमरे में कोई है।
—इसी उपन्यास से
आज दुनिया के देश भय और आतंक के साये में जी रहे हैं। आतंकवाद विकास और तरक्की की राह में सबसे बड़ा अवरोध है। अतिवादियों से मानवता पीडि़त है। निरपराध लोग; यहाँ तक कि बच्चे भी इन दुर्दांतों की गोलियों का शिकार बन रहे हैं। मानवता की बलि चढ़ रही है; हिंसा का तांडव हो रहा है। प्रस्तुत उपन्यास में इस विभीषिका का सजीव चित्रण है। संभवतः ऐसी रचनात्मक कृतियाँ आतंक और हिंसा फैला रहे आतंकवादियों के दिलों को छू सकें; किसी हद तक उन्हें प्रभावित कर उनका हृदय-परिवर्तन कर सकें; ताकि मानव जाति का विनाश रुक सके।
‘आतंक के साये में’ ऐसा प्रयास है; जिसमें आतंकवाद की समस्या से लेकर सामाजिक; पारिवारिक एवं भीतरी भावनात्मक आतंक तक का विश्लेषण किया गया है।AATANK KE SAYE MEIN by SMT. GARIMA SANJAY: "AATANK KE SAYE MEIN" authored by SMT. GARIMA SANJAY is a book that explores the shadow of terrorism. The book delves into the impact of terrorism on individuals and society.
Key Aspects of the Book "AATANK KE SAYE MEIN":
Terrorism: SMT. GARIMA SANJAY examines the shadow of terrorism and its implications.
Impact Analysis: The book offers an analysis of how terrorism affects people and communities.
Social Commentary: "AATANK KE SAYE MEIN" provides a social commentary on the challenges posed by terrorism.
Through "AATANK KE SAYE MEIN," SMT. GARIMA SANJAY sheds light on the somber topic of terrorism and its consequences on individuals and society.