मनुष्य का मस्तिष्क एक सुपर कंप्यूटर है, जो बड़े से बड़ा कार्य करने और उसे संजोए रखने की क्षमता रखता है।
यदि कोई इतिहास के सबसे बुद्धिमान मनुष्य के विषय में प्रश्न करता है तो सभी के मस्तिष्क में अल्बर्ट आइंस्टाइन का नाम सबसे पहले आता है। अलग-अलग युग में उन्हें शताब्दी पुरुष, सर्वकालिक महान वैज्ञानिक, जीनियस और न जाने कितने ऐसे अनेक संबोधनों से पुकारा गया। वही आइंस्टाइन, जिन्होंने सिद्धांतों तथा शोधों द्वारा विज्ञान का चेहरा ही बदलकर रख दिया। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि साधारण से साधारण व्यक्ति भी मेहनत, हिम्मत और लगन से सफलता प्राप्त कर सकता है और विश्व में नाम कमाते हुए, असाधारण व्यक्तित्व की श्रेणी में आ सकता है।
आइंस्टाइन सापेक्षता (Relativity) के सिद्धांत और द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण E = mc2 के लिए संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध हैं। उन्हें सैद्धांतिक भौतिकी, विशेषकर प्रकाश विद्युत उत्सर्जन की खोज के लिए सन 1921 में विश्व के सर्वोच्च ‘नोबेल पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
आइंस्टाइन का हमेशा यही मानना था कि मनुष्य चाहे छोटा कार्य ही क्यों न कर रहा हो, उसे उस काम को पूरी सच्चाई तथा प्रामाणिकता के साथ करना चाहिए।
इस पुस्तक को पढ़कर एक महान, विलक्षण वैज्ञानिक के जीवन को देखें और उससे प्रेरणा प्राप्त करें।
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