लेखक मनीष कबीर ज़िला फ़तेहपुर , उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं तथा वर्तमान में माध्यमिक शिक्षा परिषद , उ0प्र0 के अन्तर्गत एक विद्यालय में लेक्चरर के पद पर कार्यरत हैं । इन्होंने B.Sc, M.Sc. एवं B.Ed. कानपुर से जबकि M.Phil. की उपाधि झाँसी विश्वविद्यालय से प्राप्त की। हमेशा खुश रहने एवं जिज्ञासु प्रवृति वाले ‘मनीष’ का जीवन सरल तथा विभिन्न प्रकार के अनुभवों से भरा हुआ रहा है । इनका मानना है कि विभिन्नताओं से भरी ये दुनिया ईश्वर की एक अदभुत रचना है और हम सब इसका एक हिस्सा मात्र हैं । यह उपन्यास उन सभी विद्यार्थियों को समर्पित है जो एक साधारण जिन्दगी जीते हैं और तमाम अनुभवों से अनभिज्ञ एक कॉलेज में एडमिशन लेते हैं । उनके कुछ ऐसे ही अनुभवों को साझा करने का प्रयास इन्होंने अपने इस उपन्यास "अनजाने क्लासमेट" के जरिए किया है। वे कहते हैं कि यूं तो सभी विद्यार्थी असाधारण रूप से प्रतिभावान नहीं होते पर सभी अपनी जिन्दगी को मौज-मस्ती के साथ जीने की ख्वाहिश जरूर रखते हैं । "अनजाने क्लासमेट" विद्यार्थियों के जीवन की सत्य-मार्मिक घटनाओं एवं बीच-बीच में रोमांस के खट्टे-मीठे अनुभवों तथा उससे मिलने वाली प्रेरणाओं से हमें रूबरू कराता है ।